प्राकृतिक आहारः-
आहार प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग है, आहार को औषध माना गया है। प्राकृतिक चिकित्सा मे फलाहार, शाकाहार, दुग्धाहार, अंकुरित आहार, हरी सब्जियां, सलाद, फलो का रस तथा बिना पके हुए आहार का विशेष महत्व बताया गया है।
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कब खायेः- पहले का खाया भोजन अच्छी तरह पच जाये तथा भूख लगी हो तभी भोजन करे। कैसे खायेः- बिना वार्तालाप करे न बहुत धीरे न बहुत तेजी से, अच्छी तरह चबा कर, शांत मन से भोजन करें।
कितना खायेंः- जितनी भूख हो उससे थोडी कम मात्रा में आहार लेना चाहिए। अधिक मात्रा में लिया गया आहार वसा के रूप में इकठ्ठा होकर अनेक रोग पैदा करता है। अतः दैनिक परिश्रम के अनुसार ऊर्जा की आवश्यकता को देखते हुए भोजन को संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
आहार के प्रकारः-
प्राकृतिक चिकित्सा मे विशेषज्ञों ने आहार के तीन भेद बताये है।
1. एलिमिनेटिव आहारः- अवांछित तत्वों ;हानिकारक पदार्थोद्ध को शरीर से बाहर निकालने वाले आहार को एलिमिनेटिव आहार कहते है यथा सब्जियों का पतला रस, सूप, नारियल पानी एवं नींबू पानी।
2. सूदिंग आहारः- रोगी व्यक्ति के पेट की जलन या पीडा को शंात करने एवं स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए उपयोगी आहार को सूदिंग या शांतिकर आहार कहते है यथा फलों का रस, सलाद, उबली हुई सब्जियां, अंकुरित अनाज एवं छाछ ।
3. कन्स्ट्रक्टिव आहारः- प्राकृतिक पूर्ण आहार जो शरीर का निर्माण करता है एवं शरीर को निरोगी रखता है वह कन्स्ट्रक्टिव अथवा निर्माणकारी आहार कहलाता है यथा मोटा आटा, बिना पाॅलिश किये गये चावल, छिलके सहित दाले, अंकुरित आहार, दही एवं हरे पत्तेदार सब्जियां।
इनके अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा मे आहार को दो वर्गो में भी विभाजित किया गया है-
1. प्राथमिक या धनात्मक आहारः- इसमे मुख्यतः हरी सब्जियां एवं फल आते है, जिनमे जीवनीय तत्व, खनिज लवण एवं रेशे प्रचुर मात्रा मे होते है। ऐसा आहार शरीर में जीवनीय शक्ति बढाता है।
2. द्वितीयक या ऋणात्मक आहारः- इसमें अन्न, फलियां, दाले व अण्डा आदि आते है। इनमे रेशे कम होने से शरीर के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं माने जाते।
अंकुरित आहारः-
साबूत अन्न एवं दालो को भिगोकर एवं अंकुरित करके आहार के रूप मे सेवन करना, अंकुरित आहार कहलाता है। अंकुरित आहार में अनेक जीवनीय तत्व खनिज लवण एवं रेशे प्रचुर मात्रा मे होने से शरीर के लिए अत्यधिक लाभप्रद होते है। अंकुरित दालो में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा मे होने से बच्चों की वृद्धि के लिए भी लाभदायक है। अंकुरित आहार से शरीर को पर्याप्त पोषण मिलता है तथा शरीर का वजन नही बढता है। इससे पेट भी साफ रहता है। प्राकृतिक चिकित्सा मे जीवनीय शक्ति बढाने के लिए अंकुरित आहार सर्वोत्तम आहार है।