क्षारसूत्र चिकित्सा
क्षारसूत्र चिकित्सा
क्षारसूत्र आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा की पद्धति है जिसका उल्लेख सर्वप्रथम आचार्य चक्रपाणि कृत चक्रदत्त ग्रन्थ में किया है| क्षारसूत्र द्वारा गुदा मार्ग (मर्म स्थान) पर स्थित गंभीर बीमारिया यथा अर्श (Hemorrhoids), भगन्दर (Fistula-Sinus-Pilonidal sinus), फिशर (Fissure), इत्यादि रोगों का सफलतम उपचार किया जाता है l
क्षारसूत्र क्या है ?
क्षारसूत्र एक विशेष प्रकार का धागा होता है जो की विभिन्न प्रकार की औषधियों जेसे अपामार्ग, कदली, अर्क, नीम, पलास इत्यादि पोधो के क्षार (Ash – alkaline material) तथा स्नुही दुग्ध (Euphorbia Nerifolia), गुग्गुल (Commiphora mukul), हल्दी (Curcuma longa), इत्यादि द्वारा आलेपित कर बनाया जाता है| इसे बनाने के लिए सबसे पहले अपामार्ग (Achyranthes aspera) इत्यादि औषधियो का क्षार तैयार किया जाता है फिर 20 नंबर के लिनेन बार्बर थ्रेड पर स्नुही के दुग्ध का आलेपन कर क्षार और हल्दी का क्रमशः लेपन किया जाता है तत्पश्चात क्षारसूत्र केबिनेट में विसंक्रमण हेतु रखा जाता है l
क्षारसूत्र केसे कार्य करता है?
क्षारसूत्र में लगी औषधियों के प्रभाव से तथा क्षारसूत्र बांधने के युक्ति से यह अर्श भगन्दर बीमारियों को समूल नष्ट करता है l
भगंदर (Fistula) में प्रोबिंग (Probing) की सहायता से क्षारसूत्र बंधन किया जाता है जिसे भगंदर पूर्ण रूप से ठीक होने तक हर सात दिवस में बदला जाता है इस प्रक्रिया में विसंक्रमण का विशेष ध्यान रखा जाता है| स्नुही दुग्ध भगंदर तथा नाड़ीव्रणों को भेदने (Cutting) का कार्य करता है, औषधीय क्षार संक्रमित उत्तको को नष्ट करने में (debridement), पूय को निकालने (Pus draining) तथा नई कोशिकाए निर्माण (Proliferation) करता है तथा हल्दी शीघ्रता से घावो को भरने (Healing) में सहायता करती है| इस प्रकार क्षारसूत्र द्वारा चिकित्सा करने पर भगंदर को समूल नष्ठ किया जा सकता है l
(विभिन्न रोगों में क्षारसूत्र चिकित्सा )
अर्श (Haemorrhoids) में क्षारसूत्र को अर्श के मूल में विशेष विधि द्वारा बांधा (Transfixation) जाता है जिससे कुछ ही दिनों में अर्श का क्षरण हो जाता है तथा अर्श की पुनरुत्पति नही होती है l
क्षारसूत्र चिकित्सा द्वारा लाभ
क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति Minimal Invasive एवं सबसे सुरक्षित तकनीक है जिससे गुदामार्ग के अर्श भगंदर के उपचार के दौरान अन्य तकनीक की तुलना में सबसे कम Tissue Damage होता है l
इस चिकित्सा हेतु रोगी को बेहोशी (General Anaesthesia, Spinal Anaesthesia) आदि की लम्बी एवं जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता l
इसमें रोगी चिकित्सा के पश्चात अपनी दैनिक दिनचर्या आसानी से सम्पूर्ण कर सकता है (Ambulatory) रोग के पुनः होने की सम्भावना नहीं के बराबर रहती है |
ऑपरेशन के पश्चात जटिल Surgical Complication जैसे (Anal Incontinence),गुदा मार्ग का संकुचित हो जाना (Stricture) नहीं होते है l
आजकल ऑपरेशन हेतु जो महँगी-महँगी तकनीक का प्रयोग होता है जिसकी तुलना में इस पद्धति द्वारा उपचार पर व्यय नगण्य मात्र होता है
हर उम्र के व्यक्ति बच्चे, वयस्क,महिला,बुजुर्गो सभी में सुरक्षित पद्धति है l
यह उपचार Diabetes, Hypertension, Thyroid या अन्य जटिल बीमारियों वाले मरीजो में भी किया जा सकता है l
आयुर्वेद विभाग द्वारा आयुर्वेदीय क्षारसूत्र शल्य चिकित्सा शिविरों का आयोजन :-
विशिष्ठ संगठन योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति / जनजाति बाहुल्य क्षैत्र में दस दिवसीय नि:शुल्क अन्तरंग क्षारसूत्र शल्य चिकित्सा शिविरों का आयोजन प्रत्येक जले में विभाग द्वारा समय-समय पर किया जाता है l
वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार बजट घोषणा के बिंदु संख्या 238 के तहत संपूर्ण राज्य में दस क्षारसूत्र शल्यचिकित्सा इकाइयों की स्थापना की गयी थी जो वर्तमान में क्रियाशील है l इनके नाम निम्न है :-
1.श्री चांदमल मोदी राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय ब्यावर जिला अजमेर l
2.राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय खांडा फालसा जोधपुर l
3. राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय चितोड़गढ़ l
4. राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय तलवंडी कोटा l
5. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय प्रतापनगर जयपुर l
6. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय भरतपुर l
7. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय आयड़ उदयपुर l
8. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय झालावाड l
9. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय राजसमन्द l
10. राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय सवाईमाधोपुर l