राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में आयुर्वेद चिकित्सा की महती भूमिका है। इस उददेश्य की पूर्ति हेतु इन केन्द्रों पर प्रसव पूर्व सेवाओं (Antenatal Care) में गर्भवती माताओं को गर्भावस्था के मध्य खान-पान, रहन-सहन की गर्भिणी मासानुमासिक परिचर्या की जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु तथा माता के स्वास्थ्य की रक्षा वृद्धि तथा पोषण के लिये पथ्य औषध दी जाती है।

प्रसव पश्चात (Postnatal Care) सेवाओं में जच्चा (माता) एवं बच्चा दोनों के स्वास्थ्य में वृद्धि तथा पोषण रोगों से बचाव के लिये चिकित्सा परामर्श, औषधि पथ्य उपलब्ध कराया जाता है। 0 से 5 वर्ष  तक के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि हेतु औषधि प्रदान की जाती है। इसी प्रकार किशोरी बालिकाओं में रक्ताल्पता (पाण्डू) की कमी को दूर करने के लिये औषधि प्रदान की जाती है।

वर्तमान में  प्रत्येक सम्भाग एवं जिला मुख्यालय पर अनुसूचित जाति/जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के आयुर्वेद चिकित्सालयो में वर्ष 2013-14 से चरणबद्ध तरीके से राज्य के प्रत्येक जिले में आंचल प्रसूता केन्द्र कुल 35 केन्द्र स्थापित किये गये। जिला अजमेर में एवं जयपुर में दो-दो केन्द्र संचालित किये जा रहे है। वर्तमान में प्रति आंचल प्रसूता केन्द्र हेतु प्रतिवर्ष 1.00 लाख रूपये पथ्य एवं 2.00 लाख रूपये औषधियों हेतु उपलब्ध कराये जाते है, तथा मशीनरी एवं उपकरणों पर 0.60 लाख रूपये केन्द्र खुलने पर उपलब्ध कराये जाते है।